बिजली के बल्ब की ओर टकटकी लगाये रघु की माँ ने पूंछ ही लिया बेटा दुई साल
पूरे होई गये पर अबे तक या बल्ब नही जला कब अपने गाव में बिजली आवेगी,ये कह कर रघु
की माँ चुप हो गयी रघु माँ के पास खड़े कुछ सोच रहा था गाव में बिजली,पानी की
समस्या बारे में उसने मन मन ही ठान लिया, कि अब सारे गाव वालो को एकत्र कर राज्य
सरकार के खिलाफ आन्दोलन करेगा अगले दिन सुबह उसने सभी गाँव के लोगों को एकत्र किया
और सब के सामने अपने विचार व्यक्त किये तभी गया चाचा ने कहा बेटा हर बार चुनाव के
समय ही सिर्फ नेता आते है और वादे करते है कि एक बार जीता दो, गाव में बिजली पानी
सड़क और अस्पताल सब सुबिधाये मुहैया करवा देंगे और जीतने के बाद कतो गाँव कई आउतो
नाही न हम लोगन का पहिचानै,रघु ने बीच में गया चाचा को रोकते हुए बोला चाचा काउनो
बात नाही है अब हम सब जने खुदै नेतान का जवाब देबे काहे से की तीन महिना बाद चुनाव
आ रहे है अब हम उन सब कामचोर नेताओ को जवाब देंगे किसी भी नेता को वोट नही देंगे
और आस-पास के गाव के लोगो को भी प्रेरित करेंगे की किसी भी पार्टी के नेता को वोट
न दें वोट तभी डालेंगे जब गाव में बिजली पानी सडक और अस्पताल सब सुविधाए मुहैया हो
जाएंगी खोखले वादों में आकर इस बार वोट नही करेंगे पहले काम फिर वोट देंगे रघु की
ये बाते पूरे गाव वालों को अच्छी लगी और शाम को पूरे गाव में रघु की बातें चर्चा
का विषय बन गयी अगले दिन सुबह गाँव के कुछ बड़े बुजर्ग लोग आस-पास के गाँवों में
जाकर रघु के विचार सभी गाँव वालों के सामने रखते है सबको ये बातें पसंद आती है
लेकिन गाँव में नेताओ के आश्रय प्राप्त कुछ चमचों को ये बात बहुत बुरी लगती है और
वो सभी अपनी-२ सरकारों के किये कामों को गिनाने लगते है लेकिन गाँव की जो बेसिक
जरूरतें जैसे बिजली पीने का पानी सडक अस्पताल और स्कुल के बारे में पूछने पर उन सब
की बोलती बंद हो जाती है वो इन सब चीजों के बारे में कुछ बोल ही नही पाते क्योकि
वो स्वयं यही चाहते है कि अगर गाँव के लोग साक्षर हो गये तो उनकी जी हुजूरी कौन
करेगा| सभी आस-पास के गाँव लोगों के एकजुटता और वोट न देने की खबर नेताओ तक
पहुचाते है इस खबर से सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टी नेताओ के पसीने छुट जाते
है वो सभी रघु से मिलने के लिए सोचते है और सभी पार्टी कर्यकर्तों को हिदायत देते
है कि ये खबर मिडिया तक नही पहुचनी चाहिए अगले दिन पहले से तय जगह पर पूरे एक
संसदीय क्षेत्र के गाँव के लोग आन्दोलन करने के लिए एकत्र होते है और सरकार के
विरुद्ध आन्दोलन प्रारम्भ हो जाता है सारी पार्टी के नेता एक–एक करके आते है सभी रघु और गाँव वालो को
समझाने की कोशिश करते है कि वोट करो सारे वादे पूरे होंगे लेकिन सब बेकार क्योकि
गाँव वाले अपनी शर्तो पे अडिग रहते है अगले दिन ये खबर स्थानीय समाचार पत्र की
सुर्खी बन जाती है इस खबर की भनक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को भी लग जाती है सीमा जो एक
टी.बी.चैनल की सवाददाता है वो अपनी पूरी टीम के साथ इस खबर को कवर करने के लिए
जाती है जैसे ही रघु को देखते हो एकदम से चौंक जाती है क्योकि कालेज में दोनों एक
ही साथ पढ़ा करते थे पढाई पूरी करने के बाद रघु एक मल्टीनेशनल कम्पनी में नौकरी कर
लेता है और सीमा एक समाचार चैनल में नौकरी कर लेती है दोनों मिलते है कुछ बाते
होती है तभी रघु सीमा को गाँव की परेशानियों के बारे में बताता है और कहता है मै
अपनी माँ के सपने को पूरा कर रहा हूँ माँ ने उससे कहा था बेटा दो साल हो गये ये बल्ब कब जलेगा,अब
सरकार को हमारी जरूरत है और हमें बिजली पीने का पानी ,पक्की सड़के अस्पताल स्कुल और
रोजगार की जरूरत है जो नेता या पार्टी हमारी ये सभी जरूरते पूरी करेगी हम उसे ही
वोट देंगे वरना वोट किसी पार्टी को नही देंगे ,ये खबर पूरे देश में जंगल में लगी
आग की तरह फ़ैलने लगती है जगह - जगह आन्दोलन शुरू हो जाते है चुनाव का बहिष्कार
करो, ये मामला संसद में गूंजता है और फिर एक ईमानदार पार्टी के अच्छे छवि के नेता
सामने आते है रघु से बात करते है फिर भी कोई हल नही निकलता है रघु अपनी शर्तों पे
अडिग रहता है, जब उन लोगों को कोई और विकल्प नही दिखता है तब वो सभी उस क्षेत्र के
अफसरों से मीटिंग कर रघु और गाँववालों की सारी शर्तें पूरी करने के लिए बात करते
है वो चुनाव से पहले सारे काम समाप्त करने पर भी जोर देते है क्योकि रघु और
गाँववालो की शर्त के मुताबिक अगर कोई काम अधूरा रहा गया तो वोट नही देंगे ,अगले
दिन गाँव की कच्ची सडकों के किनारे पत्थर ,तारकोल गिट्टी आदि सामग्री क्षेत्र के
अधिकारी गिरवाना शुरू कर देते है बिजली आपूर्ति के ट्रांसफर्मर ,स्कुल के जगह,
पीने के पानी के लिए हैंडपंप आदि पर कार्य प्रारम्भ हो जाता है रघु और गांववाले
अपना आन्दोलन जारी रखते है चुनाव के ठीक पांच दिन पहले सारे काम पूरे हो गये है
गाँव में पक्की सड़के, स्कुल पीने के पानी के लिए हैंडपंप अस्पताल सारी सुविधाए
देखकर गांववाले खुश होते है तब रघु से गया चाचा कहते है अरे रघु बेटा कमाल होई गवा
चुनाव के पाहिले-२ सब शर्तें पूरी होई गयी अउर आस-पास के गांवन के लोग भी खूबै खुश
रहै कहत रहै कि रघु तो सब सपना पूरे करवा दीहिस, रघु ने कहा चाचा ये सब आप लोगों
ने किया मैंने कुछ भी नही किया मैंने सिर्फ अपना फर्ज निभाया है और अब हम वोट
करेंगे चाचा ये बात सब को बात देना जिस पार्टी ने ये सारे काम कराये है उसे हम सभी
लोग वोट देंगे,पास खड़ी सीमा सारी बातें सुन रही थी शायद रघु से प्यार करने लगी थी सीमा
रघु से कहती है अब फिर नौकरी करोगे या नही रघु कहता है नही अब गाँव में ही रहकर
कुछ काम करूँगा तीन महीने बाद रघु की शादी सीमा से हो जाती है रघु माँ से अम्मा
सीमा से कहो बल्ब बंद कर दे रात नही है दिन है